

दादू मेरे जन्म पर आप सब खूब खुश हुए जश्न मनाया घर परिवार में कितनी धूम धाम थी सबके चेहरे खुशी से दमक रहे थे बधाइयां ही बधाइयां मिल रही थी बाबा श्याम का पूजन अर्चन भंडारा हो रहा था। मैं कितनी खुशनसीब थी कि मुझे आप जैसा दादू मिला प्यार करने वाले मम्मी पापा मिले पूरा परिवार मिलालेकिन जैसे-जैसे मैं बड़ी हुई मेरी बीमारी का पता चला आप सब ने मेरी खूब चिंता की कई डॉक्टर को बताया लेकिन जब यह लगा कि अब मैं ठीक होने वाली नहीं हूं ,24 घंटे मेरी देखभाल करना पड़ेगी मैं परिवार पर बोझ बनने लगी हर कोई कन्नी काटने लगा।
भविष्य दृष्टा कवि प्रदीप के इस कालजयी गीत~देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान कितना बदल गया इंसान~का स्मरण करते हुए भारी मन से आपको यह खुला खत लिख रहा हूं !

प्रिय श्री श्याम प्रेमी भाई जी
जय श्री श्याम
मुझे यह सूचित करना है की आपकी प्यारी पौत्री आपके बेटे रितेश ( बदला हुआ नाम ) की पुत्री और आपके पूज्य पिताजी बड़े उद्योगपति (ऑटो पार्ट्स ) मित्तल परिवार की पड़ पौत्री ‘ सहज ‘ जो पूर्ण रूप से शारीरिक और मानसिक दिव्यांग है और पर सेवा पर निर्भर है। एक एक पल सहज को सहज कर रखना पड़ता है उसके सभी नित्य कर्म करना , कपड़े पहनाना,पेस्ट बनाकर ,भोजन कराना ,दवाई देना और उसकी पूरी देखभाल करना अत्यंत ही मुश्किल काम है। रात दिन देखभाल करना होती है ,एक एक पल संभाल कर चलना होता है कि कहीं फूड पेस्ट गले में अटक न जाए आहार नली में फस न जाए ।
आपने रितेश की दुर्घटना के समय मुझे विश्वास दिलाया कि पिंकेश के अस्पताल से आते ही आप सहज को सेवा धाम आश्रम से ले जाएंगे किंतु 26 जनवरी 2020 के बाद से आपने सहज के लिए कोई चिंता नहीं की , यतीमों के समान उसे सेवाधाम आश्रम में छोड़ गए कभी आपने ,परिवार ने उसको जन्म देने वाले माता पिता ने यह भी नहीं पूछा उसकी क्या स्थिति है। वह जिंदा है या नहीं। आप बाबा श्याम के परम भक्त हैं ,शारीरिक ,मानसिक और आर्थिक रूप से खूब सक्षम है । हजारों हजार श्याम भक्तों में आपकी भक्ति की बड़ी प्रशंसा है लाखों रुपया आप भजन कीर्तन ,भंडारेआदि में खर्च करते हैं किंतु आपके अपने परिवार की पोती दूसरों के दान के बल पर पल रही है ।
प्रिय श्री श्याम प्रेमी भाई जी , यदि आप सहज को किसी अस्पताल में रखते तो निश्चित रूप से लाख सवा लाख रुपए महीना का खर्चा आपको देना पड़ता और परिवार का एक व्यक्ति साथ रहता ।
आपने संबंधों का फायदा उठाकर अपनी प्यारी पौत्री को सेवा धाम आश्रम में छोड़ दिया और निश्चिंत होकर अपने परिवार में सभी सदस्य निश्चिंतता से मौज मस्ती कर रहे हैं , यह अत्यंत ही शर्म की बात है ।
आपको और उसके माता पिता को तो सेवाधाम आश्रम में आकर कम से कम महीने में दो चार बार आकर संपर्क करना था। अब तो शायद वह आपकी उसकी दादी की परिवार के अन्य सदस्यों की शक्ल सूरत भी भूल चुकी होगी। अपने मां बाप को भी नहीं पहचानती होगी ।
निश्चिंत रहे सहज अब हमारी प्यारी पौत्री है। हम सब की लाडली है , ढाई वर्ष से एक एक पल कैसे जिंदा रही हमसे बेहतर कोई नहीं जानता । जब भी मैं और कांता उसके पास जाते हैं ,गोदी में लेकर दुलार करते है वह खिल खिलाकर मुस्कुरा देती है। उसका मासूम चेहरा और उसमें मुस्कुराहट में हमें परमात्मा के बाबा श्याम के दर्शन होते हैं । किंतु श्याम भक्त होकर आप बाबा श्याम की आज्ञाओं का इस प्रकार पालन कर रहे हैं कि आपके परिवार की पोती बेटी नन्ही परी आज आपसे दूर है और आपके पास उसके लिए एक पल भी समय नहीं है ।
सहज की बुआ उज्जैन में रहती है उन्हें मैंने s.m.s. किया कि वह बीमार है , लेकिन उसके बाद भी ना वह आई ना आपने कोई संपर्क किया। आपको यह सूचित कर रहा हूं की सहज की मृत्यु के बाद आपको और आपके परिवार को सूचना नहीं दी जाएगी उसका अंतिम संस्कार सेवाधाम आश्रम परिवार द्वारा मेरी उपस्थिति में परंपरा अनुसार होगा ।
आपको ,उसके माता पिता को परिवार को मरणोपरांत उसका मासूम चेहरा नहीं दिखाया जायेगा ताकि वह अपने दादू से पिता से माता से चाचू से भाई बहनों से शिकायत नही कर सके कि मेरे जीते जी क्यों नही आए, कम से कम में अपनी खुली सुनी आंखो से मेरे अपने परिवार को, जन्म देने वाले मम्मी पापा को एक बार तो देख लेती। अब आने से क्या फायदा ।
प्रिय श्री श्याम प्रेमी भाई जी सहज कह रही है ,
दादू मेरे जन्म पर आप सब खूब खुश हुए जश्न मनाया घर परिवार में कितनी धूम धाम थी सबके चेहरे खुशी से दमक रहे थे बधाइयां ही बधाइयां मिल रही थी बाबा श्याम का पूजन अर्चन भंडारा हो रहा था। मैं कितनी खुशनसीब थी कि मुझे आप जैसा दादू मिला प्यार करने वाले मम्मी पापा मिले पूरा परिवार मिला ।
लेकिन जैसे-जैसे मैं बड़ी हुई मेरी बीमारी का पता चला आप सब ने मेरी खूब चिंता की कई डॉक्टर को बताया लेकिन जब यह लगा कि अब मैं ठीक होने वाली नहीं हूं ,24 घंटे मेरी देखभाल करना पड़ेगी मैं परिवार पर बोझ बनने लगी हर कोई कन्नी काटने लगा।
अचानक मेरे पिता का एक्सीडेंट हो गया। सबको बहाना मिल गया और मुझे मेरे बड़े दादू के पास जिनसे मेरा कोई संबंध नहीं था सेवाधाम में आप सब छोड़ गए कभी मेरी चिंता भी नहीं ली मैं कैसी हूं आपको याद करती हूं कि नहीं। आपको देखना चाहती हूं कि नहीं लेकिन ढाई साल हो गए आपने मेरे मम्मी पापा ने मुझे कभी याद नहीं किया मुझसे मिलने तक नहीं आए आप चिंता ना करें मैं अपने बड़े घर में खूब खुश हूं यहां 24 घंटे मेरी देखभाल होती है मेरे खाने पीने का ध्यान रखा जाता है मेरी दवाई का ध्यान रखा जाता है लेकिन कमजोर हो रही हूं कई बार ऐसा भी हुआ कि मेरी मृत्यु नजदीक थी मेरी मंजिल समाप्त हो रही थी लेकिन मेरे बड़े दादू ने मेरी बड़ी दादी ने जिन्हे सब भाई जी और भाभी की कहते है मेरा खूब ख्याल रखा कई बार मुझे अस्पताल ले गए डॉक्टर आए दवाई कराई कोरोना के समय में भी जब हर घर में कोई न कोई बीमार था कई घर में तो स्वस्थ लोग अचानक चल बसे उस समय मेरा सबसे ज्यादा ख्याल रखा गया और मुझे कुछ नहीं हुआ मेरे वार्ड में रहने वाले आश्रम में रहने वाले का भी खूब ध्यान रखा गया उनको भी कुछ नहीं हुआ लेकिन आप कभी नहीं आए मेरे मम्मी पापा नहीं आए,,,, अब हो सकता है मेरा अंत समय निकट हो मेरी आपसे एक ही प्रार्थना है कि आप मेरे मरने के बाद मेरी किसी प्रकार की क्रिया कर्म न करें कीसी प्रकार के भजन कीर्तन न करें मेरी सद्गति तो शाम श्याम बाबा के चरणों में ही होगी वही मेरी देखभाल बड़े दादू के माध्यम से कर रहे हैं वह तो आपकी परीक्षा लेना चाहते थे इसीलिए तो मुझे इस रूप में आपके पास में भेजा खैर आप परीक्षा में कितने सफल हुए आप ही जान सकते हैं।
सबको मेरा जय श्री श्याम ।
- सुधीर भाई , अंकितग्राम सेवाधाम आश्रम , उज्जैन