April 24, 2025

ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन में मंगलवार शाम को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नवनिर्मित वैभवशाली ‘श्री महाकाल लोक’ देश को अर्पित किया। इसमें भव्य प्रतिमाओं में वर्णित भगवान महादेव की गाथाओं को देखने के बाद प्रधानमंत्री ने लोगों को संबोधित किया। उन्होंने ‘श्री महाकाल लोक’ को भारत की सांस्कृतिक व आध्यात्मिक चेतना का नया शिलालेख बताया। इस दौरान उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया भारत का सांस्कृतिक वैभव देखकर चकित है कि हमारे महान ऋषि-मुनियों, पूर्वजों ने बिना तकनीक के ऐसे विराट मंदिर कैसे बनाए। अब नया भारत अपने इन्हीं मंदिरों को, उसी आध्यात्मिक गौरव को पुन: सहेज रहा है। उन्होंने कहा कि महाकाल का बुलावा आया, तो यह बेटा (मोदी) बिना आए कैसे रह सकता था। इससे पूर्व उन्होंने महाकाल मंदिर के गर्भ गृह में ज्योतिर्लिंग का पूजन-अर्चन किया व मौन साधना कर ध्यान लगाया। बता दें कि हिमालय की गोद में विराजित केदारनाथ, मां गंगा के किनारे स्थित काशी विश्वनाथ के बाद अब मोक्षदायिनी शिप्रा की नगरी उज्जैन में स्वयंभू ज्योतिर्लिंग महाकाल के नवनिर्मित ‘लोक’ को देखकर सनातन धर्म का वैभव और बढ़ गया।

पीएम मोदी ने कहा कि शंकर के सानिध्य में साधारण कुछ भी नहीं है। शंकर के सानिध्य में साधारण कुछ भी नहीं है। सब कुछ अलौकिक है, असाधारण है। अविस्मरणीय है, अविश्वसनीय है। जय महाकाल उज्जैन की ये ऊर्जा, ये उत्साह! अवंतिका की ये आभा, ये अद्भुतता, ये आनंद! महाकाल की ये महिमा, ये महात्म्या! ‘महाकाल लोक’ में लौकिक कुछ भी नहीं है। उज्जैन के छण-छण में, पल-पल में इतिहास सिमटा हुआ है। कण-कण में आध्यात्म समाया हुआ है और कोने-कोने में ईश्वरीय ऊर्जा संचारित हो रही है।

उज्जैन ने हजारों वर्षों तक भारत की संपन्नता और समृद्धि का, ज्ञान और गरिमा का, और साहित्य का नेतृत्व किया है। ज्योतिषीय गणनाओं में उज्जैन न केवल भारत का केंद्र रहा है बल्कि ये भारत की आत्मा का भी केंद्र रहा है। जब भारत का भौगोलिक स्वरूप आज से अलग रहा होगा तब से ये माना जाता है कि उज्जैन भारत के केंद्र में हैं। हमारी तपस्या और आस्था से जब महाकाल प्रसन्न होते हैं तो उनके आशीर्वाद से ही ऐसे ही भव्य स्वरुप का निर्माण होता है। और महाकाल का जब आशीर्वाद मिलता है तो काल की रेखाएं मिट जाती हैं।